MOTIVATIONAL STORY FOR SUCCESS IN HINDI(EXAM से पहले यह गलती कभी मत करना)


MOTIVATIONAL STORY FOR STUDENT (EXAM से पहले यह गलती कभी मत करना)

MOTIVATIONAL STORY- 

यह स्टोरी राहुल की है , जो एक टॉपर स्टूडेंट है बचपन से ही बहुत होशियार 1st क्लास से लेकर 11th क्लास तक हर क्लास में फर्स्ट उसकी लाइफ काफी अच्छी थी | 
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सब उसे बहुत पसंद करते थे लेकिन उसके पेरेंट्स काफी स्ट्रिक्ट थे, इस मामले में हालांकि वे काफी प्राऊड करते थे कि उनका बेटा इंटेलीजेंट है, हार्डवर्किंग है लेकिन वह उसको बहुत ज्यादा लिमिटेड रखते थे, लिमिटेड मतलब कि यह काम करना है यह नहीं करना है स्कूल ,ट्यूशन, पढ़ने का टाइम ,टीवी देखने का टाइम हर चीज का टाइम फिक्स रखते थे अब जब वह इतने सालों से इसी प्रोसेस में है तो इस प्रोसेस में ढल चुका था सारी चीजें वह टाइम टू टाइम करता था | चाहे वह स्कूल जाना हो ट्यूशन हो दिन भर इसी चीजों में बिजी रहता था, पर कहते हैं ना सक्सेज  की लाइन कभी सीधी नहीं होती जब कभी उसके मार्क्स कम जाते थे तो घर वाले उसकी पूरी क्लास ले लेते, बैठाकर बेटा ऐसा नहीं करना देखो तुम्हारे मार्क्स कम गए पहले तुम्हारे 95 थे अब तुम्हारे  85 रहे हैं पूरे दिमाग की दही कर देते सच में उसका अंदर से बहुत खून खौलता, लेकिन यह बात कहे तो कहे किससे| 
  लेकिन फिल्मों की तरह ही उसके लाइफ में भी एक लड़की थी जो उसकी बेस्ट फ्रेंड थी, वह अपनी सारी बातें उसी से शेयर करता था उसका नाम सीमा था, सीमा के बारे में बता दूं वह इतनी इंटेलीजेंट नहीं थी लेकिन समझदार बहुत थी हर चीजों को किस तरह हैंडल किया जाता है उसे यह सब मालूम था वह हमेशा इस बात का ज्यादा ध्यान रखती थी कि राहुल को किसी भी तरीके से पढ़ाई में डिस्टर्ब ना हो जिस तरीके से राहुल का टाइम टेबल था सीमा ने भी अपना शेडूल इसी तरह बना लिया था कि जब राहुल का फोन आए तव वह फ्री रहे। वह  सारी बातें एक -दूसरे से सेयर करते थे। 
राहुल सारी बातें अपने दिल की सीमा से कहा करता था, अब सीधा 12th  गया. 12th  सबसे इंपोर्टेंट होता है हर एक की लाइफ में, राहुल के लिए भी ऐसा ही था, राहुल के पैरेंट 12th में बहुत ज्यादा टाइट शेड्यूल कर दिए।  कुछ महीनों के लिए जब एग्जामिनेशन गए थे, उसके कुछ टाइम पहले राहुल का फोन ले लिया गया. टीवी तो राहुल ने वैसे ही छोड़ दिया था देखना क्योंकि सिड्यूल ही  इतना टाइट था. फोन लेना बंद हो गया और एक वही फोन था जिससे सीमा उससे बात कर पाती थी।  अब वह भी बंद सा हो गया था, स्कूल, ट्यूशन, घर इन सब चीजों का प्रेशर और जो प्रेसर वह फील कर रहा था ,अब तो किसी से शेयर भी नहीं कर पाता था।  स्कूल में 12th  का लास्ट चल रहा था तो बहुत सारे बच्चे आते भी नहीं थे लेकिन सीमा उस बीच में स्कूल आती थी, राहुल  जब उससे बात करने जाए तो सीमा उससे थोड़ा कटी सी रहती थी, अब राहुल को यह बात समझ में नहीं रही थी आखिर सीमा उससे बोलती क्यों नहीं अब राहुल के दिमाग में यही चलने लगा। 
 अब प्रिय बोर्ड से पहले इतना इंटेलीजेंट स्टूडेंट जो इतने अच्छे से टाइम टेबल फॉलो करता था घर वालों की बात मान रहा था अचानक उसके दिमाग में एक बात घुस गई कि, भाई उसकी बेस्ट फ्रेंड सीमा, उससे बात क्यों नहीं कर रही आज -कल, वो तो समझती है मुझे ,की मेरे घर वालो ने मेरा फोन ले लिया है ,फोन मेरा बंद रहता है ,अब राहुल के दीमक में ये सारी चीजे चलने  गई। अब वह टूशन तो जाता था लेकिन उसका मन वहा लगता नहीं था। सामने प्रिय बोर्ड भी आ गया। 
लेकिन इस बार उसको प्रिय बोर्ड का प्रेसर था ही नहीं ,क्योंकि उसके दिमाग में अलग ही कुछ चल रहा था, मतलब उसका दिमाग पूरी तरह से सीमा के बारे में सोच रहा था ,घरवालों को लग रहा था बच्चा पढ़ रहा है क्योंकि बच्चा तो वैसे ही है जैसे पहले दिख रहा था।  अब प्रिय बोर्ड गया पहले पेपर में दोनों क्लास में बैठे हर बार सीमा  उसे ऑल दी बेस्ट कहती थी।  वह इसी आशय में था कि एक बार ऑल दी बेस्ट तो कह दे, पर इस बार सीमा ने उसे ऑल दी बेस्ट नहीं कहा और वह इसी टेंशन में पेपर लेकर बैठा रहा उसे कुछ समझ नहीं रहा था क्या करें क्या नहीं और इसी कारण अचानक से ही उसके सीने में दर्द होने लगा , इस दर्द को भी बर्दाश्त कर रहा था।  और सिर्फ वही सोचे जा रहा था, और तभी अचानक अपने बेंच  से नीचे गिर जाता है। 
टीचर्स ,बच्चे दौड़कर उसे वहां से उठाते हैं और हॉस्पिटल लेकर जाते हैं और वहां पर उसके पेरेंट्स को फोन कर देते हैं ,पैरेट भी भागते-भागते आते है।  बच्चा था प्यार तो है ही प्यार था तभी तो प्रेशर देते थे कुछ पढ़ ले तो कुछ कर लेगा "लेकिन कभी-कभी कुछ चीजें ज्यादा होना भी गलत होता है" हॉस्पिटल में राहुल की तबियत ठीक हो गई, डॉक्टर ने बताया आपका बेटा डिप्रेशन का शिकार है जिस वजह से वह बहुत इमोशनली कमजोर हो गया है इसी वजह से उसे अटैक आया अगर वह आगे भी इतने ही तनाव में रहा तो उसके जान को भी खतरा है तब जाकर उसके पेरेंट्स को यह बात समझ में आई कि शायद वह कहीं ना कहीं कुछ चीजें गलत कर रहे थे उनको पता चल गया कि उनकी तरफ से पढ़ाई का प्रेसर देना थोड़ा ज्यादा हो गया।  जिसकी वजह से आगे बहुत कुछ गलत हो सकता था ना तो वह टाइम पर कुछ खा रहा था और डॉक्टर ने बताया ऐसे अटैक से जान का खतरा तो नहीं है लेकिन अक्सर ऐसा होता रहा तो आगे इससे बहुत ज्यादा खतरा है, यह सब बातें सोचकर उन्होंने डिसाइड किया कि अब वह बच्चे को प्रेसर नहीं देंगे। 
 राहुल का मेन एग्जाम हुआ और उसके इस बार 95% आया जो की 11th(98%) से काम था लेकिन इस बार उसके पैरेंट बहुत खुश थे। 
अब आप मेसे बहुत से लोग सोच रहे होंगे मेरे पैरेंट ऐसे है ही नहीं मै बिलकुल फ्री हु ,मेरे दोस्त इस सिचुएशन में भी गलत है। पैरेंट को स्टिक होना चाहिए लेकिन इतना ज्यादा होना गलत है।    

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