How to develop a positive attitude in hindi (सकारात्मक सोच कैसे बनाये )


How to develop a positive attitude

सकारात्मक सोच कैसे बनाये 

सकारात्मक सोच कैसे बनाये,,sakaratmak soch ki shakti in hindi,  positive soch in hindi
how to develop positive attitude 


Ham bachapam me jo bhi najariya apnaate hai, vo umra bhar hamare sath rahata hai. isame koi sak nahi ki bachapan me hamare liye sakaratamak(positive) najaritya banana behad aasan hota hai. agar paidaayasi mijaj aur bachapan ke tajarabe ke mel se aapka najariya sakaratamak ban gaya hai, to ham vaakai khusnaseeb hai, lekin janbujh kar ya halat ki vajah se hamara najariya nakaaratamak(negative) ban gaya ho to kya ham usase chipake rahe ge? katai nahi!! kya use badala ja skata hai ? Ha! kya aesa karana aasan hoga ? bilkul nahi! kya yah karane layak hai? yakinan!! 

Ham sakaratam(positive) najariya kaise bana aur rakh sakate hai? iske liye Hamko--

    ➤ सकारात्मक नजरिया  बनाने के उसूलो से वाकिफ होना  होगा।
    ➤ सकारात्मक नजरिया कायम रखने के लिए इच्छा पैदा  करनी होगी। 
    ➤इन उसूलो को अमल में लाने के लिए अनुशासित(disciplined ) तथा निष्ठ(dedicated ) होना होगा। 



       नजरिया बदलने के आठ कदम (8 steps to attitude change)  


अगर हमें सकारात्मक नजरिया बनाना है और कायम रखना है, तो हमको सावधानी पूर्वक ये कदम उठाने पढ़ेंगे -

पहला कदम - अपनी सोच बदले और अच्छाई खोजे 

 ( step 1-  change Focus, Look for the Positive)



                                       कुछ लोग हमेसा नकारातमक पहलू को देखते  है| कुछ लोग हर चीज में नुक्स निकालते है। हमें ये छोड़ना पड़े गा, हमें अच्छी चीजों का खोजी बनना  पड़ेगा। हमें जिंदगी के सकारात्मक पहलू पर ध्यान देना होगा। किसी इंसान, या किसी हालात के बुरे पहलु के बजाय उसके अच्छे पहलू पर गौर करना सुरु करें। हममे से ज्यादातर लोग को अपनी ही सोच का माहौल इस ढंग से ढाल लेता है की हम गलतियों और  कमियों को ढूढने के आदि हो चुके है; और इसलिए तस्वीर का अच्छा पहलू हमसे अनदेखा रह जाता है। 


दूसरा कदम - हर काम फ़ौरन करने की आदत डाले 

( step 2 - Make a Habit of Doing it Now )

                                           हम सभी जिंदगी में कभी ना कभी टालमटोल(procrastinate) करते है। मैंने भी ऐसा किया है , जिसके लिए मुझे बाद में पछताना पढ़ा। टालमटोल की आदत की वजह से हमारा नजरिया नकारात्मक बन जाता है। किसी को करने से अधिक थकान उस काम को न करने के लिए की जाते टालमटोल की वजह से होता है। 
                               कोई भी काम होने पर खुशहाली लाता है और हौसला बुलंद होता है, जबकि आधा-अधूरा काम हमारी हिम्मत को वैसे ही ख़त्म कर देता है , जैसे पानी के टैंक में कोई छेद को खाली कर देता है। 
अगर हम सकारात्मक नजरिया बनाना और कायम रखना चाहते है , तो आज में जीने और हर काम को तुरंत करने की आदत डाले। 

तीसरा कदम -अहसान मानने का नजरिया बनाए 

(step 3- Develop an Attitude of Gratitude)


चौथा कदम -लगातार ज्यान हासिल करने का कार्यक्रम बनाइए 
(step 4- Get into a Continuous Education Programme )

                                   आइए, पहले हम अपनी कुछ गलतफहमियों को दूर करे ,आम तौर पर माना जाता है की हम स्कूल-कॉलेजो में शिक्षा प्राप्त करते है। मई ये सवाल अक्सर पूछते हू ''क्या हम स्कूल-कॉलेजो में वास्तव में शिक्षा प्राप्त करते है?'' इस बात पर आम तौर पर असहमत है की वहा शिक्षा कुछ लोग ही प्राप्त कर पाते है , और ज्यादातर लोग लोग उससे वंचित रह जाते है। मेरी बात का गलत मतलब न निकाले। हमें स्कूल-कॉलेजो से ढ़ेर सारी सूचनाए हासिल होती है। शिक्षित होने के लिए सुचना भी जरुरी है ,लेकिन उसके साथ ही हमें शिक्षा का सही मायने भी समझना चाहिए। 
बौद्धिक शिक्षा(intellectual education) हमारे दिमाक पर असर डालती है ,जबकि नैतिन शिक्षा(values based education) हमारे मन को प्रभावित करती है। पड़ी शिक्षा मन को ट्रेनिंग नहीं देती ,तो वह किस काम की। अगर हमें अपने आस-पास के लोगो के चरित्र का निर्माण करना चाहते है ,तो हमें उन्हें एक स्तर तक नैतिन शिक्षा देना ही होगा। दया और ईमानदारी और जिम्मेदारी को विकसित करने वाली शिक्षा बहुत जरुरी है.
 हमें ज्यादा अच्छर शिक्षा की जरुरत नहीं,बल्कि चरित्र बनाने बाली शिक्षा की है। 
हमें  "ग्रेड " नहीं, बल्कि ज़्यान और  बुद्धिमत्ता हासिल करने के लिए होड़ लगनी  चाहिए। 

पाँचमा कदम -अच्छे स्वाभिमान का निर्माण कीजिए 

(Step 5-Build A Positive Self-esteem)

                               स्वाभिमान क्या है ? (What is self-esteem?)     

                                                                     स्वाभिमान खुद अपने वारे में महसूस करने का नजरिया है। जब हम अपने बारे में अच्छा महसूस करते है , तो हम बेहतर काम करते है। घर और दफ्तर में हमारे रिश्ते बेहतर हो जाते है। दुनिया हमें अच्छी लगती है।   


छठा कदम - नकारात्मक असर से बचे 
 (Step 6- Stay Away from Negative Influences)

                                          स्वाभिमान की कमी की वजह से लोगो में "नहीं , धन्यवाद" कह कर बुरे असर से दूर रहने की हिम्मत नहीं होती इस वजह से कुछ अच्छे स्वाभिमान वाले लोग भी प्रभाबित हो जाते है जैसे कोई मित्र ड्रिंक करता है तो हम भी उसके कहने पर मना नहीं कर पाते और ड्रिंक करने लगते है, 
हमें इससे बचना होगा चाहे वह कितना ही खास मित्र क्यों न हो। 


सातवाँ कदम -जरुरी कामो को पसंद करने की आदत डाले 
(Step 7- Learn to Like the Things That Need to be Done)

                                        ( जो जरुरी है उससे शुरू करे, फिर जो मुमकिन है वह करें , और आप अचानक पाएंगे की आप नामुमकिन कण भी करने लगे है )

कुछ काम ऐसे होते है ,जिन्हे हम पसंद करे, या नापसंद करे पर वे हमें करने ही पड़ते है। जैसे की एक माँ अपने बच्चे की देखभाल हर हल में करती है। कोई जरुरी नहीं है इसमें उसे हमेसा सुख मिलता हो, बल्कि कई बार तो यह तकलीफ देह हो सकता है।  लेकिन हम ऐसे जरुरी कामो को पसंद करना ले, तो फिर नामुमकिन भी मुमकिन बन जाता है। 



                                                 

आठमा कदम -अपने दिन की शुरुआत किसी अच्छे (सकारात्मक)काम से करे 
(Step 8- Start Your Day with Something Positive)

                                                    
                                                     सुबह के वक्त सबसे पहले कोई अच्छी चीज पढ़े, या सुनें। रात को अच्छी तरह सोने के बाद हमारा तनाव दूर हो जाता है, और हमारा मन किसी बात को बड़ी आसानी से काबुल कर लेता है। खुद में बदलाव लेन के लिए हमें सोचे समझे  ढंग से कोसिस करनी होगी, अच्छे विचार और ब्यबहार को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाना होगा। 

हार्वर्ड विश्वबिद्यालय के विलियम जेम्स विलियम का कहना है  ''अगर आपको अपनी जिंदगी बदलनी है ,तो उसकी शुरुआत फ़ौरन करे ''



अगर आप अब  तक बताये जा चुके आठ तरीको पर अमल करे, तो विजेता बन जाये गे।      
                           
             

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