अपनी किस्मत अपने हाथ – Motivational story in hindi

अपनी किस्मत अपने हाथ – Motivational story in hindi

एक बहुत बड़ा राजा था। उसके पास बेसुमार धन दौलत थी। राजा अपने राज्य का बहुत ध्यान रखता था और दान पुण्य भी बहुत करता था। लेकिन धीरे धीरे राजा को अपनी इस बात पर घमंड होने लगा। वो सोचने लगा कि सारी प्रजा मेरी दया से पल रही है और मैं ही सबका भाग्य बनाता हूँ। उसे हर समय अपनी ही तारीफ सुनने की आदत पड़ गई। राजा के सभी दरबारी अपने स्वार्थ के लिए और राजा के डर से हमेशा राजा की तारीफ करते रहते थे।

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राजा की चार बेटियां थीं। राजा अपनी बेटियों से कहता था कि वो उनकी शादी बड़े धूमधाम से बड़े बड़े राजघरानों में करेगा और उन्हें खूब धन दौलत देगा। राजकुमारियां पढ़ी लिखी और बुद्धिमान थीं। उन्हें अपने पिता का घमंड अच्छा नहीं लगता था। आपस में बातें करते हुए वो चारों कभी कभी इस बात पर भी चर्चा  करती थीं कि पिताजी को बहुत घमंड हो गया है, वो सोचते हैं कि वो ही सबका भाग्य बनाते हैं।
एक बार चारों राजकुमारियां इस बात पर चर्चा कर रही थीं कि पिताजी का घमंड बढ़ता ही जा रहा है, किसी तरह पिताजी को समझाना होगा। तभी पीछे से राजा आ गया और उसने ये बातें सुन लीं। राजा को लगा कि ये चारों उसकी बुराई कर रही हैं। राजा एकदम से क्रोधित हो उठा। उसने एक एक करके चारों को बुलाया और पूछा कि बताओ तुम्हारा भाग्य किसने बनाया है? राजा के मुंह पर उसकी बुराई करने की किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी। तीनों बड़ी राजकुमारियों ने कहा कि पिताजी हमारा भाग्य आपने बनाया है, हम आपके भाग्य का ही खाते हैं। लेकिन छोटी राजकुमारी हमेशा सत्य का साथ देती थी, उसने साहस दिखाते हुए कहा – “पिताजी क्षमा कीजिये, आप किसी का भाग्य बना या बिगाड़ नही सकते। लोगों का भाग्य उनके अपने कर्म बनाते हैं और सब अपने अपने भाग्य का खाते हैं।” यह बात सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया और वो छोटी राजकुमारी से नफ़रत करने लगा। उसने तीनों बड़ी राजकुमारियों की शादी धूमधाम से बड़े राजघरानों में की लेकिन छोटी राजकुमारी की शादी एक बहुत गरीब लकड़हारे से करवा दी। राजा ने लकड़हारे को देखा तक नहीं और बिना कोई दान दहेज दिये ही छोटी राजकुमारी को विदा कर दिया। राजकुमारी चुपचाप अपने गरीब लकड़हारे पति के साथ चली गई।

लकड़हारा अपने गुजारे के लिए जंगल से लकड़ियां काट कर बेचता था जिससे उसे बहुत थोड़े से पैसे मिलते थे। राजकुमारी ने हार नहीं मानी। एक दिन उसने सोचा की उसे भी अपने पति के साथ लकड़ियां काटने जंगल में जाना चाहिए। उसने यह बात अपने पति को बताई। अगले दिन लकड़हारा उसे भी अपने साथ लकड़ियां काटने के लिए ले गया। जंगल में जाकर राजा की बेटी ने देखा कि वहाँ बहुत सारे चन्दन के पेड़ खड़े हैं। लकड़हारा जिस जंगल से लकड़ियां काट कर लाता था वहाँ चन्दन के हज़ारों हजार पेड़ थे लेकिन उस गरीब लकड़हारे को चन्दन की लकड़ी के बारे में कुछ पता ही नहीं था। राजकुमारी ने उसे बताया कि यह तो बहुत कीमती लकड़ी है और इसे बेचकर हम मालामाल हो सकते हैं। अब दोनों चन्दन की लकड़ियां काट कर लाते और लकड़हारा उन्हें पास के शहर में जाकर बेच आता। धीरे धीरे वो लकड़हारा चन्दन की लकड़ी का बड़ा व्यापारी बन गया और खूब धनवान हो गया। उसने अपने रहने के लिए एक बहुत बड़ी और आलीशान हवेली भी बनवा ली। राजकुमारी और लकड़हारा अपना जीवन खूब हशी खुशी और सम्पन्नता से बिताने लगे।
कुछ सालों के बाद राजा ने अपने राज्य में एक बहुत भव्य महल बनवाने का फैसला लिया। इसके लिए राजा को बहुत सारी चन्दन की लकड़ी की जरूरत पड़ी। राजा लकड़ी खरीदने के लिए उस लकड़हारे के पास आया जो कि अब चन्दन का बहुत बड़ा व्यापारी बन चुका था। राजकुमारी ने अपने पिता को पहचान लिया और भोजन का इंतज़ाम कराया। भोजन में राजकुमारी ने सारे पकवान अपने पिताजी की पसंद के बनाए। राजा यह देखकर बड़ा हैरान हुआ की भोजन में सारे ही पकवान उसकी पसंद के थे। इतने में राजकुमारी खुद राजा के सामने आई और हाथ जोड़कर खड़ी हो गई। अब तो राजा की हैरानी का ठिकाना नहीं रहा। उसने राजकुमारी को गले से लगा लिया। राजा को जब सारी बात पता लगी तो उसे अपने आप पर बहुत शर्म आई। उसने राजकुमारी से कहा की बेटी मुझे क्षमा कर देना, मैंने तुम्हारे साथ बहुत अन्याय किया, तुमने अपनी मेहनत और बुद्धिमानी से अपना भाग्य खुद बनाया है और मेरे घमंड को चूर चूर कर दिया है।

mothers day kavita

बताऊं क्या शहर तुझको हुआ क्या मां के आने से 
किराए का मकान भी मुझे मेरे घर स लगता है।

क्रूर था जो रात का अकेलापन 
मां के आने से वो भी औंधा सा लगता है ।ma

उपहास करती थी जो थकावट आज तक मेरा 
मां के आने से वो भी थका सा लगता है ।

बताऊं क्या शहर तुझको हुआ क्या मां के आने से 
होना सब कुछ है अभी, लेकिन सब कुछ हुआ सा लगता है।

घर में रहकर महिलाये स्वयं को आगे कैसे बढ़ाये

घर में रहकर महिलाये स्वयं को आगे कैसे बढ़ाये


यह अक्सर पाया गया है की महिलाओ को घर, बच्चे और ऑफिस की जिम्मेदारियों के कारण मजबूर होकर अपना अपनी पढाई या अपना करियर छोड़ना पढता है, जो काफी तकलीफ भरा निर्णय होता है| दोस्तों, पर यदि आप को किसी कारण से अपनी जॉब को अलविदा कहना पड़ा है तो निराश हो कर घर पर बैठने की जरुरत नहीं है क्योकि आप घर रह कर भी स्वयं को आगे बढ़ा सकती है|

आज हम आपको बताएँगे की घर में रह कर भी आप पैसे कैसे कमा सकती है और अपना करियर बना सकती है -    

फ्रीलान्स ब्लॉगर - जी हाँ, यदि आपको लिखना और पढ़ना अच्छा लगता है तो आप फ्रीलान्स राइटर या फ्रीलान्स ब्लॉगर बन सकती है| चाहे तो अपनी वेबसाइट भी बना कर ब्लॉग्गिंग स्टार्ट कर आप पैसा कमा सकती है| आप फ्रीलान्स ब्लॉगर बन या राइटर बन किसी नई एजेंसी या मैगज़ीन के लिए भी लिख सकती है| वह भी घर बैठे|


इमेज डिजाइनिंग - आज के ऑनलाइन दौर में पैसा कमाना की यदि आप चाह रखते है तो और यदि आपमें इमेजिनेशन की कला है साथ आपको डिजाइनिंग का सही ज्ञान है तो आप घर बैठे पैसा कमा सकते है| इमेज डिज़ाइन कर आप ग्राफ़िक डिज़ाइनर बन घर बैठे आसानी से पैसा कमा सकते है| अच्छी बात है यह है की वैसे तो बहुत सारे फ्री ऑनलाइन टूल मौजूद है पर Canva की मदद से आप आसानी से क्रिएटिव इमेजेज बना सकते है, और एक अच्छी इमेज डिज़ाइनर के तौर पर अपना करियर बना सकती है|

केक बेकर - अधिकतर महिलाओ के लिए खाना बनाना एक शौक होता है| यदि आप भी उन में से एक है तो अपने इस शौक के जरिये भी पैसा कमा सकती है| यदि आपको कुकिंग का शौक है तो आप अलग अलग तरीके के केक बना कर भी बेच सकते है| थीम बेस्ड केक्स बना कर आप बहुत पैसा कमा सकते है| यह आप पर निर्भर करता है आप चाहे तो घर पर कुकिंग क्लासेज भी ले सकती है और पैसा कमा सकती है|

आप कॉपीराइटर भी बन सकती है - कॉपीराइटर बन आप बहुत सारा पैसा घर बैठे कमा सकती है | इसके लिए आपको एडवरटाइजिंग की गहरी समझ और शब्दो का सही उपयोग करना आना चाहिए | ऑनलाइन वर्क फ्रॉम होम जॉब के मदद से आपसे आप कॉपी राइटिंग का काम ले सकती है| डाटा एंट्री भी घर बैठर पैसा कामने का बहुत ही अच्छा तरीका है|

ज्वेलरी मेकर - आप घर बैठे ज्वेलरी डिज़ाइन भी कर सकती है | अच्छी बात ये है की यदि आपको ये नहीं भी आता है तो भी आप सीख कर शुरुवात कर सकती है वो भी थोड़े से दिन में |
आप को बस अच्छी डिज़ाइन बनाकर उस हिसाब से ज्वेलरी मेकिंग के लिए सामान लाना होगा और आप आसानी से अपना जेवेलरी मेकिंग एंड सेल्लिंग बिज़नेस स्टार्ट कर सकती है |आप चाहे तो फ्यूचर में ज्वेलरी मेकिंग क्लासेज और वर्कशॉप्स लगा कर भी कर पैसे कमा सकती है |ऑनलाइन बहुत आइडियाज आपको मिल जायेगे जिनकी मदद से आप एक अच्छी ज्वेलरी मेकर बन समाज में अपना नाम और पैसा दोनों कमा सकती है |

क्राफ्ट बनाना - पेपर डेकोरेटिव पीस, क्राफ्ट्स, पेंटिंग, बना कर आप अपने घर से हैंडीक्राफ्ट का बिजनेस शुरू कर पैसा कमा सकती है। घर में कुशन कवर, डेकोरेटिव पीस, पेंटिंग्स बना कर आप उन्हें बेच सकती है| धीरे धीरे आप अपने क्राफ्ट के बिज़नेस को बढ़ने के लिए ई-कॉमर्स पोर्टल स्टार्ट कर पैसा कमा सकती है|

इस तरह घर में रह कर महिलाये स्वयं को आगे बढ़ा सकती है और किसी भी प्रकार की नेगेटिविटी से दूर रह सकती है, साथ ही अपना घर, जॉब और करियर बना कर पैसा कमा सकती है| दोस्तों इस तरह आप अपने करियर में नयी उचाईयो को हासिल कर सकती है|और अपना वजूद घर बैठे भी कायम रख सकती है |

तेरे बारे में क्या लिखें hindi kavita by kaushlesh

तेरे बारे में क्या लिखें

तेरे बारे में क्या लिखें
मैं प्यासा तो तू पानी है 
मैं नेता तो तू शेरवानी है। 
मैं व्यास तो तू वाणी है
मैं याचक तो तू दानी है।।

तेरे बारे में क्या लिखें 
मैं हकीकत तो तू परछाई हैं
मैं दिया तो तू सलाई है।
मैं विवाह तो तू सगाई है
तू मेरे उम्र भर की कमाई है।।

तेरे बारे में क्या लिखें 
मैं निशा तो तू ख्वाब है
मैं गणित तो तू हिसाब है।
मैं बॉलीवुड तो तू अमिताभ है 
मैं जवानी तो तू शबाब है।।

तेरे बारे में क्या लिखें
मैं देवालय तो तू भगवान हैं
मैं सरहद तो तू जवान है।
मैं पतंग तो तू आसमान है 
तेरे बगैर निसेनी नहीं आसान है।।

IAS Motivational Story – एक आत्मसम्मान की कहानी जो आपकी सोच बदल देगी

IAS Motivational Story – एक आत्मसम्मान की कहानी जो आपकी सोच बदल देगी

IAS Topper Success Story in Hindi-नमस्कार दोस्तो, आपके सामने आज हम एक ऐसी आत्मसम्मान की कहानी पेश करने जा रहे है जो आपकी सोच बदल देगी और आप अपने लिये और अपनो के लिये कुछ ऐसा करने का व्रत लेंगे जो आपने खुद कभी सपने में भी नही सोचा होगा !



IAS Topper Success Story in Hindi

गली के नुक्कड़ की चाय की दुकान अड्डा थी चौधरी जी एवं खान चाचा की राजनीतिक एवं धार्मिक चर्चा की .जहाँ दोनों दिन भर के काम से थके हारे अपना अनुभव साझा करते थे और थोड़ी हंसी मजाक के बाद घर लौट जाते थे !
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चौधरी जी जहाँ लोक निर्माण विभाग में इंजीनियर थे वहीँ खान चाचा इण्टर कॉलेज में प्राध्यापक ! दोनों रोज की तरह ही चर्चा में लगे हुए थे तभी अचानक खान चाचा ने चौधरी जी का ध्यान खींचते हुए कहा चौधरी जी ये तो अपना सुमित है ना ? चौधरी जी ने नजर दौड़ाई तो उनका बेटा सुमित किसी लड़की के साथ बाइक पर तेजी से चला जा रहा था और वह लड़की भी इतनी अभद्र अवस्था में बैठी हुई थी कि चौधरी जी को भी शर्म गयी ! लेकिन अगले ही पल अपनी झेंप को मिटाते हुए चौधरी जी ने कटाक्ष किया कि चाचाचौधरियों का खून है .. गर्म तो होगा ही और ये उम्र भी ऐसी होती ही है ..इस बात पर दोनों ठहाके लगाकर हंस पड़े ….पर कुछ देर बाद सामने से ही चौधरी जी की बेटी किसी लड़के के साथ बाइक पर घर की तरफ जा रही थी हालाँकि यह बहुत ही सभ्य अवस्था में बैठी थी ..पर थी तो लड़की ? .. चाचा ने व्यंग्य भरी निगाहों से चौधरी जी की तरफ देखा और चौधरी जी इस बार चुप रहे ! ..जल्दी ही दोनों ने चाय ख़त्म की और चौधरी जी घर की ओर तेजी से चल पड़े ! गुस्से से उनका चेहरा तमतमा उठा था !

 चौधरी जी के दो बच्चे थे बड़ी बेटी श्रेया और छोटा बेटा सुमित ! श्रेया परास्नातक अंतिम वर्ष में थी और सुमित स्नातक अंतिम वर्ष में ! इंजीनियर का बेटा एवं छोटा होने के कारण सुमित लाढ प्यार में बिगड़ गया था हालाँकि श्रेया भी फैशन एवं शौक बहुत रखती थी किन्तु वह सुमित की तरह अय्याश नहीं थी ! आज उसका परास्नातक का अंतिम पेपर था एवं कॉलेज में ही सीढ़ियों से उतरते समय वो लड़खड़ा गयी जिससे उसके पैर में हल्की सी मोच गयी ! राहुल ( जो उसका जूनियर था और उसको दीदी बोलता था और बहन की तरह मानता भी था ) के साथ घर रही थी तभी चाचा और चौधरी जी की नजर उसपर पड़ी और हंगामा खड़ा हो गया ! चौधरी जी को सच पता नहीं था !! इधर जैसे ही चौधरी जी गुस्से में घर पहुंचे ..श्रेया और सुमित ने अपनी अपनी फरमाइशें रख दीसुमित बोला पापा मुझे पीसीएस की तैयारी करने दिल्ली जाना है और श्रेया ने कहा पापा मैं एमफिल करना चाहती हूँलेकिन श्रेया चौधरी जी के गुस्से से बिलकुल अंजान थी ! उसके इतना कहने पर चौधरी जी उसपर बरस पड़ेउन्हें खुद नहीं पता था कि वो क्या कहे जा रहे हैंमां ने जब पूछा कि आखिर उसकी गलती क्या है ..तो बोले की सडकों पर लड़कों के साथ घूमती है ..मेरी इज्जत तार तार कर दी .इसको आगे पढ़ने से अच्छा है इसका मुंह जल्दी से काला कर दोश्रेया को बहुत बड़ा धक्का लगा ..जिनपर वो इतना ज्यादा यकीन भरोसा करती है उनको जरा भी यकीन नहीं है अपनी बेटी पर …… श्रेया के आंसू भर आयेऔर भरे हुए गले से बोली ..पापा जरा सा तो यकीन कर लिया होताएक बार सच जानने की कोसिस तो की होतीऔर इतना कहकर वो ऊपर अपने कमरे में चली गयी …..!
कमरे में अपने पापा की बातों को याद करके बार बार रोती रही और रोते रोते जाने कब उसे नींद गयी … ! रात में मां खाने के लिए जगाने भी आई पर उसने खाना खाने से मना कर दियामां ने जब सच्चाई बताई तो चौधरी जी को अपने किये पर पछतावा हुआ …..अगली सुबह श्रेया देर से उठी और उस दिन भी उसने तो खाना खाया और ही किसी से बात कीसबने बहुत मनाया और माफ़ी मांगी पर पता नहीं इस बार जख्म कुछ गहरे थे वो बार बार पापा की बातों को याद करके रो रही थी ! मम्मी पापा ने सोचा कि धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा अभी गुस्सा है लेकिन ऐसा नहीं हुआ कहते हैं “””” कि जीभ में लगे जख्म जल्दी ठीक हो जाते है लेकिन जीभ से लगे जख्मों को भरने में बहुत समय लगता है “”” कुछ यूँ ही श्रेया के साथ भी हुआअगले दिन एमफिल के आवेदन की अंतिम तिथि थी लेकिन श्रेया ने आवेदन नहीं किया .उसे इस बात का दर्द था की किसी ने उससे एक बार भी नहीं कहा की बेटी तू पढ़ ….अब श्रेया खाना तो खाने लगी थी पर उसका स्वभाव बहुत बदल गया थाअगली सुबह सुमित दिल्ली जाने के लिए तैयार हो गया और उसे आशीर्वाद देते समय पापा इतने खुश थे जैसे वह पीसीएस बनने नहीं बनकर जा रहा हो ! .. .. बस श्रेया ने भी फैसला कर लिया की अगर पीसीएस इतनी अच्छी चीज है जो उसका खोया हुआ आत्मसम्मान वापस दिला सकती है तो वह पीसीएस बनकर दिखाएगी …! पर कैसे ..? ..इसके बारे में उसे कुछ नहीं पता थापर भरोसा था उसे अपनी जिद पर …!
उसने इंटरनेट में खोजना शुरू कियाथोड़ा मिला तो और रूचि जगीइस थोड़ा थोड़ा करके उसने पीसीएस के बारे में सबकुछ पता कर लियाजाने कितनी websites और पेज सर्च कियेऔर तीन दिन में उसे सब कुछ मालूम चल गया की इसका पाठ्यक्रम कैसा है ..? .. कैसे पेपर आते हैं ..? ..पेपर में किस प्रकार के प्रश्न आते हैं ..? .. फॉर्म कब निकलते हैं आदि आदि …. अभी अप्रैल चल रहा था और उसे पता था की पेपर मार्च में होगा यानि उसके पास लगभग 10 माह का समय है …websites के माध्यम से उसने बुक लिस्ट तैयार करी ..कि आखिर उसे कितनी बुक्स की जरुरत पड़ेगी ..? …पर सवाल था की बुक्स कौन लेकर आये? क्योंकि वह बाहर नहीं जाना चाहती थी ..इसके लिए उसने न्यूज़ पेपर लाने वाले लड़के चंदू को चुना ..क्योकि ज्यादातर पेपर के लिए श्रेया ही गेट खोलती थीउसने चंदू को लिस्ट थमा दी और बोली की ये बुक्स तू ले तो तुझे 100 का दूंगी पर हाँ किसी को पता चलने पाये एक एक करके ही लाना ..चंदू खुश हो गया…..!!
उसदिन श्रेया ने अपना सारी दिनचर्या व्यवस्थित कर ली ..किस समय क्या क्या करना है सब फिक्स हो गयाअगली सुबह एक नयी सुबह थीहर दिन 7 या 8 बजे उठने वाली श्रेया आज 4 बजे ही उठ गयी थी ..सारे काम जल्दी जल्दी ख़त्म करकेलॉन में पढ़ाई के लिए बैठ गयी ..पापा ऑफिस चले गये थे और मां काम में लगी हुई थीघर वालों को उसके बदले हुए स्वभाव का अहसास हो गया थाशाम में पापा के वापस आने पर मां ने उनसे जिक्र किया ..कि अपनी बेटी अब सुधर गयी है …..पहले गर्मियों में दोस्तों के साथ बाहर घूमने जाया करती थी .., सारी गर्मियों में जाने कितनी फ़िल्में खत्म हो जाती थीपर इस बार …..इतना कहकर उनका गला भर आया ….. !! …श्रेया के लिए अब शादी , पार्टी , पिकनिक आदि के मायने खत्म हो गए थे …. उसकी दुनिया उसके अपने कमरे तक थी और उसकी दोस्त उसकी अपनी किताबेंजब कभी बोर होती तो कमरे कि खिड़की से खड़े होकर बाहर का नजारा देखती …… और पुरानी बातों को याद करके फिर से थोड़ा रो लेती ……. उसकी अपनी फ्रेंड्स भी तैयारी करने या आगे पढ़ने बाहर चली गयी थी और वहां उनको नए दोस्त मिल गए जिसके बाद उन्होंने श्रेया से बात करना बहुत कम कर दिया ….. इसका कारण यह भी था कि उनको लगता था कि श्रेया अब घर में कुछ नहीं कर पायेगी … !! ..
मम्मी ने भी उसे बहलाने कि बहुत कोसिस की उसके मां का खाना बनाया , उसे बार बार समझाया ..कई बार तो जो टीवी प्रोग्राम श्रेया को बहुत पसंद होते थे मम्मी उन्हें लगाकर ..वॉल्यूम बढ़ा देती थी ताकि कोई वजह हो जिससे वह किसी तरह नीचे जाये ..पर श्रेया अब पूरी बदल चुकी थी ….. समय बीतता गया और श्रेया भी दिन रात मेहनत करती रही ….आखिर वह दिन भी गया जिस दिन उसकी प्रारंभिक परीक्षा थीश्रेया ने मां से कहा आज एक फ्रेंड की पार्टी है मुझे जाना है …. मम्मी ने उसे नहीं रोका क्योंकि 10 महीने में पहली बार वह घर से बाहर निकल रही थीउसने प्रारंभिक परीक्षा दी .. और घर आकर फिर दुगनी तेजी से मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट गयीकुछ दिनों बाद प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आया सुमित ने फ़ोन करके घर बताया कि उसने प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली है …. मम्मी पापा के खुशियों का ठिकाना नहीं रहा .. पास तो श्रेया भी थी पर उसने किसी को नहीं बताया था कि वह पीसीएस की तैयारी भी कर रही है !
कुछ दिनों बाद मुख्य परीक्षा भी गयी फिर श्रेया ने कुछ बहाने बनाकर मुख्य परीक्षा दीऔर फिर से तैयारी में जुट गयी …. मुख्य परीक्षा का परिणाम आया और इस बार भी श्रेया पास हुई पर सुमित पास नहीं हुआ था उसे अपनी ख़ुशी से ज्यादा अपने भाई का दुःख था ….. श्रेया ने इंटरव्यू की तैयारी की और उसका इंटरव्यू भी अच्छा गया ….. अब वह अंतिम परिणाम की प्रतीक्षा करने लगी और वो दिन भी गया जिस दिन उसका अंतिम परिणाम आना था ….. श्रेया ने जल्दी ही सारे काम खत्म किये और लैपटॉप खोलकर बैठ गयी ….पर रिजल्ट में अभी भी coming soon ही शो हो रहा था ..वह निराश हो गयी और एक उपन्यास पढ़ने लगीपढ़ने में इतना तल्लीन हो गयी की समय का पता ही नहीं चला और तभी दिव्या दीदी का फ़ोन आयाश्रेया तूने अपना रिजल्ट देखा …? …मैं तो सेलेक्ट हो गयी हूँश्रेया बोली दीदी मैं देख बताती हूँश्रेया को बहुत दर लग रहा थाधडकने बढ़ गयी थीउसने वेबसाइट खोली और लिस्ट चेक करने लगी ….उसने ऊपर से 50 नंबर तक देखा पर उसका नाम नहीं था ….वो बहुत दर गयी .. अब वह नीचे से देखने लगीनीचे से ऊपर आते समय 73 नंबर पर उसने अपना रोल नंबर देखा ..एक बार फिर मिलायाफिर कई बार मिलाया उसे यकीन नहीं हो रहा था.
उसने तुरंत फेसबुक प्रोफाइल खोली और 10 माह बाद अपडेट किया …..””” Finaly I am Selected In PCS with 73 rank “” .. और उसपर उसकी फ्रेंड्स का massage आया ….. गुड जोक और दूसरे का कि अच्छा मजाक है तेरे बस की बात नहीं ….. और एक का आया कि मुझे यकीन था कि तू एक दिन बनेगी .श्रेया के सामने उसके सपनों की दुनिया पंख फैलाए खड़ी थी …! … सुमित ने पोस्ट पढ़ी और तुरंत पापा को घर फ़ोन किया …. चौधरी जी को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था ..वो दौड़ कर ऊपर श्रेया के कमरे में पहुंचे …. श्रेया कि आँखों में उन जख्मों का दर्द साफ झलक रहा था जो चौधरी जी ने उसे बहुत पहले दिए थेचौधरी जी ने उसे गले से लगा लियाऔर दोनों फफक फफक कर रो पड़े …. दोनों कि आँखे बरस रही थी ..बस फर्क इतना था कि एक कि आँखों में प्रायश्चित के आंसू थे तो दूसरे की आँखों में आत्मसम्मान के ….!!!!